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जिह्वाग्रमादाय करेण देवीम्, वामेन शत्रून् परि-पीडयन्तीम् ।

ॐ बगलामुखी महाक्रूरी शत्रू की जिह्वा को पकड़कर मुदगर से प्रहार कर , अंग प्रत्यंग स्तम्भ कर घर बाघं व्यापार बांध तिराहा बांध चौराहा बांध चार खूँट मरघट के बांध जादू टोना टोटका बांध दुष्ट दुष्ट्रनी कि बिध्या बांध छल कपट प्रपंचों को बांध सत्य नाम आदेश गुरू का।

अर्थ - बगलामुखी बीज ध्वनियों का प्रयोग मंत्र में किया गया है। इसमें शत्रुओं की विषैली जीभ, पैर और बुद्धि को स्थिर करके उन्हें शक्तिहीन करने के लिए देवी की पूजा की जाती है। एक बार उनकी गतिविधियों में बाधा डालने के बाद वे कभी भी आपके खिलाफ कुछ नहीं कर पाएंगे।

श्रीब्रह्मा द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

श्री – सिंहासन – मौलि-पातित-रिपुं प्रेतासनाध्यासिनीम् ।।

जिव्हा खिंच लो शत्रु की सारी, बोल सके न बिच सभारी तुम मातु मैं दास तुम्हारा,

step2: बगलामुखी मंत्र प्रयोग चौकी पर चने की दाल से स्वस्तिक बनाएं और उस पर बगलामुखी here माता की तस्वीर स्थापित करें तथा उस पर गाय के घी का दीपक जलाएं। दीपक की रुई को हल्दी में लपेट कर ही दीपक प्रज्वलित करना है। हल्दी की माला और पीले पुष्प लेकर माता को चढ़ाएं।

ऋषि श्रीनारद द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

In every man or woman, precisely the same self-energy exists as that electric power, that is current in the human body within a dormant point out on account of remaining surrounded by worldly attachments, misdeeds and five restrictors.

बालां सत्स्रेक-चञ्चलां मधु-मदां रक्तां जटा-जूटिनीम् ।। शत्रु-स्तम्भन-कारिणीं शशि-मुखीं पीताम्बरोद् भासिनीम् ।

Bandhak-mukti Prayog frees a target form lawful punishment, bondage om independence, and aids him oh her to obtain bail with a subject resulted through the conspiracy of enemies.

Once the initiation rites are executed because of the Guru, that elusive animal address is completely broken as well as disciple is mindful of the inherent divine electric power.



आवाहन मंत्र: ॐ ऐं ह्री श्री बगलामुखी सर्वदुष्टानां मुख स्तम्भिनी सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरु सर्वार्थ साधय-साधय स्वाहा।

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